Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनावों के तीसरे चरण में गुजरात की 25 सीटों के लिए सात मई को वोट डाले जाएंगे। इस बार के चुनावों में शुरूआत से लेकर अंत तक क्षत्रियों की नाराजगी और उनका आंदोलन चर्चा में रहा। बीजेपी ने क्षत्रिय समाज के कड़े विरोध के बाद भी रूपाला का टिकट नहीं बदला। बीजेपी उनके साथ मजबूती से खड़ी रही।
अहमदाबाद: गुजरात की 25 सीटों पर सात मई को वोट डाले जाएंगे। इस बार के चुनावों में केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रूपाला का क्षत्रिय समाज के लिए दिया गया बयान चर्चा में रहा। चुनावों में देखा जाता है कि नेता अक्सर जाति को काफी सचेत रहते हैं। रैलियों को संबोधित करते वक्त भी वह इसका ध्यान रखते हैं। उनकी एक चूक परेशानी खड़ी कर देती। इसका अहसास परशोत्तम रूपाला ने भी किया होगा। रूपाला ने क्षत्रियों समाज के नाराज होने पर एक बार नहीं बल्कि तीन से चार माफी मांगी, लेकिन विरोध खत्म नहीं हुआ। आखिर में रूपाला ने यहां तक कहा कि उनके बयान के लिए पीएम मोदी से नाराजगी करने की जरूरत नहीं है। लोकसभा चुनावों में नामांकन से पहले और बाद तक रूपाला का मुद्दा छाया रहा, लेकिन पार्टी एक इंच पीछे नहीं हटी।
गुजरात में गोधरा दंगों के बाद इस तरह के मामले कम ही सामने आए हैं। जब जातियों के बीच टकराव दिखा हो। नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए तमाम जातियां धार्मिक स्तर आपस में जुड़ी रही हैं। पीएम मोदी के 2014 में दिल्ली जाने और प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्य में समुदायों के बीच सत्ता से अधिकतम लाभ उठाने के लिए संगठित होना शुरू हुआ था। इसके बाद ही पाटीदार आरक्षण आंदोलन, दलित आंदोलन और 2016-17 में ठाकोरों का शक्ति प्रदर्शन में इसकी झलक सामने आई थी। इन आंदोलनों का चेहरा रहे तीन में से दो (हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर) के बीजेपी में शामिल होने के बाद ये आंदोलन नियंत्रण में आ गए। पटेल शक्तिशाली पाटीदार समुदाय से हैं, जो 1980 के बाद से बीजेपी की सफलता का आधार रहा है। गुजरात में बीजेपी का उदय काफी हद तक पटेलों के कारण है, जिन्होंने सोशल-इंजीनियरिंग फॉर्मूले KHAM (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) के प्रतिशोध में बीजेपी का पूरे दिल से समर्थन किया था। )। यह थ्योरी पूर्व सीएम माधव सिंह सोलंकी के दिमाग की उपज थी।
गुजरात में एकतरफा रहे लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 2014 और 2019 में सभी 26 सीटें जीतीं, लेकिन इस बार रूपाला की क्षत्रिय और राजपूतों पर की गई टिप्पणी के बाद मामला थोड़ा दिलचस्प हो गया है।क्षत्रियों ने बीजेपी के राज्यसभा सदस्य परशोत्तम रूपाला का सौराष्ट्र के राजकोट लोकसभा सीट से नामांकन रद्द करने की मांग उठाई। इस क्षेत्र में जाति विभाजन बहुत गहरा है, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने रूपाला की उम्मीदवारी वापस लेने की अपनी मांग सीमित रखी, साथ ही उन्होंने बीजेपी के प्रति अपनी वफादारी व्यक्त की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मोदी से कोई समस्या नहीं है। दूसरी ओर रूपाला की माफी और पार्टी की माफी की अपील के बावजूद प्रदर्शनकारी अपनी मांग पर अड़े रहे। शुरुआत में चिंतित रूपाला नई दिल्ली गए और फिर आश्वस्त होकर लौटे। इसके बाद वह प्रचार में जुट गए। उन्होंने जैसे ही उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया। इसके बाद यह साफ हो गया कि बीजेपी क्षत्रिय समाज की मांग के आगे झुकने वाली नहीं है।
ANCHAL MALIK
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