बिहार में लीची उत्पादन में सुधार के अलावा नयी किस्मों के उत्पादन के लिए राज्य सरकार पहल करने जा रही है। इसके लिए किसानों को राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र से जोड़कर उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा। किसान अब नई किस्मों का उत्पादन करेंगे ताकि उन्हें फायदा हो सके। आइए जानते हैं कैसे होगा किसानों को फायदा।
मुजफ्फरपुर: बिहार में लीची के उत्पादन में सुधार के लिए राज्य सरकार और राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएल)बगानी करने वाले किसानों को फल की नयी विकसित किस्मों का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। राज्य के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने कहा कि भारत में कुल लीची उत्पादन का 43 फीसदी बिहार में होता है और देश में लीची की बागानी का रकबा देश के कुल रकबे का 35 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि फिलहाल बिहार सरकार और एनआरसीएल (मुजफ्फरपुर) लीची उत्पादन, इसकी गुणवत्ता और भंडारण में सुधार के लिए संयुक्त रूप से पहल कर रहे हैं। जीआई-टैग वाली शाही लीची का उत्पादन बढ़ाने के अलावा, किसानों को फल की नव विकसित किस्मों के उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
बिहार में लीची कि नयी किस्मों – गंडकी योगिता, गंडकी लालिमा और गंडकी संपदा के उत्पादन के प्रयास जारी हैं। शाही लीची उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की एक विशेषता है, जिसे कुछ साल पहले ज्योग्राफिकल टैग (जीआई) मिला था। शाही लीची अपनी अनूठी सुगंध, अतिरिक्त रस और सामान्य से छोटी गुठली के कारण एक अलग पहचान रखती है। आईसीएआर-एनआरसीएल (मुजफ्फरपुर) के निदेशक विकास दास ने बातचीत में कहा कि लीची उत्पादन में मुजफ्फरपुर जिले का योगदान प्रभावशाली है। लेकिन लीची का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आईसीएआर-एनआरसीएल के पास फसल सुधार और अनुवांशिक वृद्धि, टिकाऊ उत्पादन प्रौद्योगिकियों के विकास, एकीकृत कीट प्रबंधन प्रणाली मौजूद है।
ANCHAL MALIK
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