गुजरात के मोरबी पुल की मरम्मत के दौरान उसके फर्श को बदल दिया गया लेकिन केबल को नहीं बदला गया। जिन ठेकेदारों को यह काम करनी की जिम्मेदारी दी गई वह इसके योग्य नहीं थे। यह बात अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से कही।
गुजरात के मोरबी में केबल ब्रिज की मरम्मत करने वाले ठेकेदार ऐसे काम करने के योग्य नहीं थे। यह बात अभियोजन पक्ष ने यहां की एक अदालत को बताया। अभियोजन पक्ष ने फोरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए मंगलवार को मजिस्ट्रेट की अदालत को बताया कि पुल के फर्श को बदल दिया गया था, लेकिन इसकी केबल को नहीं बदला गया था और यह बदली हुई फर्श का भार नहीं सह सकता था। रविवार शाम को पुल गिरने से 135 लोगों की मौत हो गई थी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एम जे खान ने गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों ओरेवा समूह के दो प्रबंधकों और पुल की मरम्मत करने वाले दो उप-ठेकेदारों को शनिवार तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। अभियोजक एच एस पांचाल ने कहा कि अदालत ने सुरक्षा गार्ड और टिकट बुकिंग क्लर्क सहित पांच अन्य गिरफ्तार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया, क्योंकि पुलिस ने उनकी हिरासत की मांग नहीं की थी। पुलिस ने सोमवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
पुलिस हिरासत में भेजे गए चार आरोपियों में ओरेवा के प्रबंधक दीपक पारेख और दिनेश दवे, और मरम्मत करने वाले ठेकेदार प्रकाश परमार और देवांग परमार शामिल थे, जिन्हें ओरेवा समूह ने काम पर रखा था। पांचाल ने फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अदालत को बताया कि फोरेंसिक विशेषज्ञों का मानना है कि नए फर्श के वजन के कारण पुल की मुख्य केबल टूट गई है। हालांकि एफएसएल रिपोर्ट एक सीलबंद कवर में प्रस्तुत की गई थी।
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